611 bytes added,
02:37, 12 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>कू S S S ऊ S S S
कोई S S S है
दूसरी आवाज़ आई
मैं हूँ S S S
कोयल बोली:
कू S S S ऊ S S S
दूसरी आवाज़:
कू S S S ऊ S S S
अपनी अपनी पारी से
दो कंठ गाएँ
कोयल की पंचमी
मानुष शिशु की वही
कू S S S ऊ S S S
गरमी का ताप दबे
सुर का हिम पवन पटल पर पसरे।
17.11.2002 </poem>