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संकट / रामधारी सिंह "दिनकर"
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16:30, 20 नवम्बर 2009
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::(१)
भीरु पूर्व से ही डरता है, कायर भय आने पर,
किन्तु, साहसी डरता भय का समय निकल जाने पर।
::(२)
संकट से बचने की जो है राह,
वह संकट के भीतर से जाती है।
</poem>
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