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|संग्रह=जूझते हुए / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}<poem>ज़िन्दगी — वीरान मरघट-सी,<br>ज़िन्दगी — अभिशप्त बोझिल और एकाकी महावट-सी !<br>ज़िन्दगी — मनहूसियत का दूसरा है नाम,<br>ज़िन्दगी — जन्मान्तरों के अशुभ पापों का दुखद परिणाम !<br>ज़िन्दगी — दोपहर की चिलचिलाती धूप का अहसास,<br>ज़िन्दगी — कंठ-चुभती सूचियों का बोध तीखी प्यास !<br>
ज़िन्दगी — ठहराव, साधन-हीन, रिसता घाव
ज़िन्दगी — अनचहा संन्यास, मात्र तनाव !<br/poem>
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