भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निष्कर्ष / जूझते हुए / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी — वीरान मरघट-सी,
ज़िन्दगी — अभिशप्त बोझिल और एकाकी महावट-सी !
ज़िन्दगी — मनहूसियत का दूसरा है नाम,
ज़िन्दगी — जन्मान्तरों के अशुभ पापों का दुखद परिणाम !
ज़िन्दगी — दोपहर की चिलचिलाती धूप का अहसास,
ज़िन्दगी — कंठ-चुभती सूचियों का बोध तीखी प्यास !
ज़िन्दगी — ठहराव, साधन-हीन, रिसता घाव
ज़िन्दगी — अनचहा संन्यास, मात्र तनाव !