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14:28, 24 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम
रह गए
बडे़ जहाज की तरह
तट से दूर
मैं छोटी - सी
डोंगी ही सही
आख़िर
पहुँच गई न
तट तक...।
</poem>