गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपनी खिड़की से / अशोक वाजपेयी
No change in size
,
19:40, 7 फ़रवरी 2010
कि सामने के वृक्षों पर
हरियाली और धूप हो सके;
कि आकाश अपनी धूमिलता
छॊड़कर
छोड़कर
नीला निरभ्र हो सके;
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits