|भाषा=पंजाबी
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आ ढोला इन्हाँ राहाँ ते
दीवा बाल रक्खाँ खनगाहाँ ते
तेरीयाँ मन्नताँ
जीवें ढोला !
मंजी बाण दी--
ढोले दीया 'रमजां' मैं सम्भे सब्बे जाणदी--
'''भावार्थ'''
--'आओ ढोला, इन रास्तों पर
मैं खानकाह(पीर की समाधि) पर दीया जलाए रखती हूँ
तेरी मनौती मानती हूँ
जीते रहो ढोला !
बान की बुनी हुई खाट है
ढोला के मर्म की बातें मैं समझती हूँ !'
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