गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बे-ऐतदालियों से सुबुक सब में हम हुए / ग़ालिब
1 byte removed
,
00:12, 3 मार्च 2010
छोड़ी 'असद' न हमने गदाई में दिल-लगी
साइल<ref>भिखारी</ref> हुए तो आ़शिक़-ए-अहल-ए-करम हुए </poem>
{{KKMeaning}}
Sandeep Sethi
Delete, Mover, Uploader
894
edits