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विषण्ण रहता हूँ इन दिनों।
मीना बाज़ार में
कटी जेब लेकरभटकने का दर्दमुझे चीरता है।मैं जादूगर की पेटी में बंदगुड्डे की तरहआरों से बार-बार चिर कर भीसाबुत बच जाता हूँ।मुझे बाहरी चोट नहीं पहुँचती,मगर भीतर घाव गहरा है।
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