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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
एक-एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब
ख़ून-ए-जिगर, वदीअ़त-ए-मिज़गान-ए-यार<ref>प्रेमी के पलकों की धरोहर</ref> था
एक-एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब<br>ख़ूनअब मैं हूँ और मातम-ए-जिगर, वदीअ़तयक-ए-मिज़गान-एशहर-यारआरज़ू<ref>प्रेमी अभिलाषाओं रूपी महल के पलकों की धरोहरउजड़ जाने का शोक</ref> थातोड़ा जो तूने आईना तिमसाल-दार<brref>चित्रमय<br/ref>था
अब मैं हूँ और मातम-ऐं-यक-शहर-ए-आरज़ूगलियों में मेरी नाश<ref>अभिलाषाओं रूपी महल के उजड़ जाने का शोकलाश</ref><br>को खींचे फिरो कि मैंतोड़ा जो तूने आईना तिमसालजां-दारदादा-ए-हवा-ए-सर-ए-रहगुज़ार<ref>चित्रमयगली-2 घूमने-फिरने की इच्छा का पीड़ित</ref> था<br><br>
गलियों में मेरी न'शमौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा<ref>लाशवफा के मरुस्थल की मरीचिका</ref> को खींचे फिरो कि मैं<br>का न पूछ हालजां-दादाहर ज़र्रा मिस्ल-ए-हवाजौहर-ए-सर-ए-रहगुज़ारतेग़<ref>गली-2 घूमने-फिरने तलवार की इच्छा का पीड़ितधार की तरह</ref> थाआबदार<brref>चमकदार<br/ref>था
मौजकम जानते थे हम भी ग़म-ए-सराबइश्क़ को पर अबदेखा तो कम हुए पे ग़म-ए-दश्त-ए-वफ़ारोज़गार<ref>वफा के मरुस्थल की मरीचिका</ref> का न पूछ हाल<br>हर ज़र्रा मिस्ल-ए-जौहर-एसंसार-तेग़ आबदार<ref>चमकदारसम्बंधी ग़म</ref> था<br><br>
कम जानते थे हम भी ग़मकिस का जुनून-ए-इश्क़ को पर अबदीद तमन्ना-शिकार थाआईना-ख़ाना वादी-ए-जौहर<brref>मिट्टी</ref>-ग़ुबार थादेखा तो कम हुए पे ग़मकिस का ख़याल आईना-ए-रोज़गारइन्तिज़ार थाहर बरग<ref>पत्ती</ref>-ए-गुल के परदे में दिल बे-क़रार था जूं<ref>जैसे</ref> ग़ुन्चा-ओ-गुल आफ़त-ए-फ़ाल-ए-नज़र<ref>निगाह के जादू की दुर्घटना</ref> न पूछपैकां<ref>तरकश</ref> से तेरे जलवा-ए-ज़ख़म आशकार<ref>प्रकट</ref> था देखी वफ़ा-ए-फ़ुरसत-ए-रंज-ओ-निशात-ए-दहर<ref>संसारकी खुशी और गम के मौके की निष्ठा</ref>ख़मियाज़ा यक दराज़ी-ए-उमर-ए-सम्बंधी गम़ख़ुमार<ref>अंगड़ाई में जिंदगी भर का नशा</ref> था सुबह-ए-क़यामत एक दुम-ए-गुरग<brref>अकेले भेड़िये की पूँछ<br/ref> थी असदजिस दश्त<ref>रेगिस्तान</ref> में वह शोख़-ए-दो-आ़लम<ref>बहुत चंचल</ref> शिकार था</poem>
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