गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हम कब शरीक होते हैं / अकबर इलाहाबादी
119 bytes added
,
00:30, 26 मार्च 2010
वह अपने रंग में हैं, हम अपनी तरंग में
मफ़्तूह
<ref>खुल कर बोलना</ref>
हो के भूल गए शेख़ अपनी
बह्स
बहस
मन्तिक़
<ref>तर्क शास्त्र-एक विषय</ref>
शहीद हो गई मैदाने ज़ंग में
</poem>
{{KKMeaning}}
Sandeep Sethi
Delete, Mover, Uploader
894
edits