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14:29, 14 अप्रैल 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
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<poem>
धाई जित-तित तैं विदाई-हेत ऊधव की
::गोपीं भरीं आरति सम्हारति न सांसुरी ।
कहै रतनाकर मयूर-पच्छ कोऊ लिए
::कोऊगुंझ-अंजलीं उमाहे प्रेम-आंसुरी ॥
भाव-भरी कोऊ लिए रुचिर सजाव दही
::कोऊ मही मंजु दाबि दलकति पांसुरी ।
पीत-पट नन्द जसुमति नवनीत नयौ
::कीरति कुमारी सुरबारी दई बांसुरी ॥97॥
</poem>