गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कालीबंगा: कुछ चित्र-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’
6 bytes added
,
12:51, 15 अप्रैल 2010
इन ईंटों के
ठीक बीच में
पडी
पड़ी
यह काली मिट्टी नहीं
राख है चूल्हे की
चूल्हे पर
खदबद पकता था
खीचडा
खीचड़ा
कुछ हाथ थे
जो परोसते थे।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,388
edits