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पिता के नाम (एक) / अनिल जनविजय
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20:05, 12 मई 2010
<Poem>
मुझे याद है पिता
वसंत की वह कोमल
सांझ
साँझ
तुम आँगन में
oैठे
बैठे
थे और
तुम्हारे स्मॄति-कैनवास पर
विभिन्न फूलनुमा घटनाएँ डोल रही थीं
अनिल जनविजय
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