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कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं / गुलाब खंडेलवाल
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14:11, 13 मई 2010
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कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं
फिर भी हमारे हाल से अनजान बहुत हैं
Vibhajhalani
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