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लेखनी का इशारा / हरिवंशराय बच्चन
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06:59, 24 मई 2010
कौन शाह मदार अपने को कहाए!
क़लम से ही
बचता नहीं है।
कान तेरे नहीं,
मेरी लेखनी का तो इशारा-
उगा-
उूबा
डूबा
है इसी पर
कहीं तुझसे बड़ों,
Tusharmj
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