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चट्टान / निर्मला गर्ग
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17:15, 27 मई 2010
यहाँ न कोई खिड़की है
न दरवाज़ा
फिर भी घर
कि
की
संभावना मौजूद है
कान लगाकर सुनें
तो पानी के बहने
कि
की
आवाज़ आएगी
वहीँ किनारे पेड़ भी होंगे कुछ हरे कुछ पत्रविहीन
अनिल जनविजय
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