669 bytes added,
22:35, 10 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
छोडिये जिक्र उस जमाने के,
वो फ़साने हैं दिल दुखाने के |
एक कोशिश है भूल जाने की,
सौ वजूहात याद आने के|
ऐसे जाना भी क्या यार जाना,
तोड़कर पुल गरीब खाने के|
रामजी मुझको और दुःख दे दो
काम आयेंगे गम भुलाने के |</poem>