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20:28, 14 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी
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[[Category:ग़ज़ल]]<poem>
उठाये जा उनके सिअतं और जिए जा
यों ही मुस्कुराए जा आंसू पिये जा
यही है मुहब्बत का दस्तूर ए दिल
वो गम दें तुझे तु दुआएं दिये जा
कभी वो नजर जो समाई थी दिल में
उसी एक नज़र का सहारा लिए जा
सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया
मगर तू किसी की तमन्ना किये जा
</poem>