गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मर जाती है बात / विजय वाते
1 byte removed
,
04:34, 19 जून 2010
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= दो मिसरे / विजय वाते;ग़ज़ल / विजय वाते
{{KKCatGhazal}}
}}
{{KKCatGhazal}}
या तो बहरे कान से टकरा के मर जाती है बात|<br>
या हवाओ में कहीं लहरा के मर जाती है बात|<br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits