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लम्हों की / विजय वाते
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04:36, 19 जून 2010
ये कहानी है खास लम्हों की|<br><br>
मेरी गोदी
मई
में
चांद लेटा है,<br>
मेरी चादर उदास लम्हों की|<br><br>
सात
घोडे
घोड़े
हैं, एक
रास्ता
रस्ता
है,<br>
किसने थमी है रास लम्हों की<br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
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