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06:21, 19 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = मदन कश्यप
|संग्रह = नीम रोशनी में / मदन कश्यप
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<poem>
सरकस में शेर से लड़ने की तुलना में
बहुत अधिक ताकत और हिम्मत की जरूरत होती है
जंगल में शेर से लड़ने के लिए
जो जिंदगी की पगडंडियों पर इतना भी नहीं चल सका
कि सुकून से चार रोटियां खा सके
वह बड़ी आसानी से आधी रोटी के लिए रस्सी पर चल लेता है
तमाशा हमेशा ही सहज होता है क्योंकि इसमें
बनी-बनाई सरल प्रक्रिया में चीजें लगभग पूर्व निर्धारित गति से
चलकर पहले से सोचे-समझे अंत तक पहुंचती हैं
कैसा होता है वह देश
जिसका शासक बड़े से बड़े मसले को तमाशे में बदल देता है
और जनता को तमाशबीन बनने पर मजबूर कर देता है!