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बरखा--गीत / मनोज श्रीवास्तव
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06:03, 1 जुलाई 2010
ऐसे में आ-मिल छलकाएं,
कण्ठ-नाद से बरखा-कजली......
(रचना-काल: १९-५-१९९५)
Dr. Manoj Srivastav
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