रह गया दब के गिराँबार सलासिल के तले<br>
मेरी दरमान्दा जवानी की उमन्गों का ख़रोश<br><br>
जीस्त- ज़िंदगी । नाशाद- ग़मग़ीन, उत्साहहीन । हरीरी मलबूस - रेशमा कपड़े का टुकड़ा । आरिज़ - गाल और होंठों के अंग । शुआ - किरण । गुलशुदा - बुझ चुकी, मृतप्राय । शम्मा - आग । तज़दीद - पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना । अफ़सुर्दा - मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई । तसव्वुर -ख़याल, विचार, याद । यख़बस्ता - जमी हुई । मुहीत -फैला हुआ । गिराँबार - तनी हुई, कसी हुई । सलासिल - ज़ंजीर ।