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07:05, 19 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
मैंने किताब तैयार की
अपना नाम लिखा
और आवरण पर चिपका दी
तुम्हारे माथे की बड़ी बिंदी
अब और कुछ करने की जरूरत नहीं रही
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