रचनाकार: [[त्रिलोचन शास्त्रीशास्त्री]][[Category:कविताएँ]][[Category:त्रिलोचन शास्त्री]]
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तरूण,
तुम्हारी शक्ति अतुल है
जहॉं जहाँ कर्म में वह बदली है
वहॉं राष्ट्र का नया रुप
और
जहॉं जहाँ हो
वहीं तुम्हारी जीवनधारा
कोई देश
तुम्हारी सॉंसों साँसों से जीवित है
और तुम्हारी ऑंखें आँखें से देखा करता है
और तुम्हारे चलने पर चलता रहता है