599 bytes added,
12:00, 15 अगस्त 2010 बाबू सर्विस ढूँढते, थक गए करके खोज ।
अपढ श्रमिक को मिल रहे चालीस रुपये रोज़ ॥
चालीस रुपये रोज़, इल्म को कूट रहे हैं ।
ग्रेजुएट जी रेल और बस लूट रहे हैं ॥
पकड़े जाँए तो शासन को देते गाली ।
देख लाजिए शिक्षा-पद्धति की खुशहाली ॥