भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शिक्षा-पद्धति / काका हाथरसी
Kavita Kosh से
बाबू सर्विस ढूँढते, थक गए करके खोज ।
अपढ श्रमिक को मिल रहे चालीस रुपये रोज़ ॥
चालीस रुपये रोज़, इल्म को कूट रहे हैं ।
ग्रेजुएट जी रेल और बस लूट रहे हैं ॥
पकड़े जाँए तो शासन को देते गाली ।
देख लाजिए शिक्षा-पद्धति की खुशहाली॥