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<poem>
कोई मन को भा जाए चुन लेती हैं

आंखों का क्या है सपने बुन लेती हैं
लेकिन सपने केवल सपने होते हैं।

खाली कमरा चीजों से भर सकता है
कोई कितना दुःख हल्का कर सकता है
हमने बाहर भीतर से घर आंगन में
घायल होकर भी देखा है जीवन में
सारे दर्द अकेले सहने होते हैं
लेकिन सपने -------------

पीडाओं की हद किस-किस को दिखलायें
आख़िर अपना कद किस-किस को दिखलायें
पौधा वृक्ष बनेगा ये आशा भी है
सबको फल पाने की अभिलाषा भी है
उनकी बात करो जो बौने होते हैं
लेकिन सपने --------------------------

क्या होता है बारहमासा क्या जाने
गर्मी जाड़ा धूप कुहासा क्या जाने
सारी चिंता अख़बारों की खबरों पर
बैठे रहे किनारे कब थे लहरों पर
जिनके नाखून चिकने-चिकने होते हैं

लेकिन सपने --------------------------<poem/>