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अब मेरे नाम की खुशी है कहीं / संकल्प शर्मा
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15:14, 30 अगस्त 2010
नब्ज़ चलती है साँस चलती है,
ज़िन्दगी फ़िर भी
क्यूँ
तू
थमी है कहीं।
जिसकी हसरत फ़रिश्ते करते हैं,
जिस घड़ी का था इंतज़ार मुझे,
वो घड़ी पीछे रह गई है
कहीं।
कहीं
इक दिया मेरे घर मे जलता है
और संकल्प रौशनी है कहीं
</poem>
Aadil rasheed
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