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सीधा है कि चालाक दिखाई नहीं देता / सर्वत एम जमाल
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सीधा है कि चालाक, दिखाई नहीं देता
हर ऐब, हर इक जुर्म, यहाँ तक कि गरीबी
ढक लेती है पोशाक दिखाई नहीं देता <
poem
/
poem
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