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ऊँड़स ली तूने जब साड़ी में गुच्छी चाभियों वाली / गौतम राजरिशी
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07:01, 28 सितम्बर 2010
बहुत दिन हो चुके रंगीनियों में शह्र की ‘गौतम’
चलो चल कर चखें फिर धूल वो रणभूमियों वाली
''{मासिक वागर्थ, अक्टूबर 2009}''
</poem>
Gautam rajrishi
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