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06:22, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
घर की छत पर
धूल-धक्कड़ के अटते ही
पिता साफ-सफाई में
जुट जाते थे
गुजरते लोगों की
आंखों के सुख के लिए
वे बारिश का इंतजार नहीं करते थे