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08:55, 29 अक्टूबर 2010 KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
राह बाटे कठिन, मगर बाटे
चाहे बाटे अगर , डगर बाटे
होखे खपरैल भा महल होखे
नेह बाटे तबे ऊ घर बाटे
तींत भा मीठ जे मिलल हक में
ऊ त भोगे के उम्र भर बाटे
साँच पूछीं त हमरा गीतन पर
आज ले, राउरे असर बाटे
आँख नइखे ई चार हो पावत
लाख 'भावुक' मिलत नजर बाटे
<poem>