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09:26, 29 अक्टूबर 2010 KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
का करित जो इहो करित ना तऽ
लूट के पेट ऊ भरित ना तऽ
फाट जाइत करेज कहिये ई
आँख से दर्द जो बहित ना तऽ
टूट जइतीं, बिखर-बिखर जइतीं
नेह भाई के जो मिलित ना तऽ
लोग कहिये उखाड़ के फेंकित
पेड़ जो आज ई फरित ना तऽ
ना कबो आ सकित नया मोजर
डाल से पात जो झरित ना तऽ
<poem>