<poem>
यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या
कटा ले लें मुफ़्त मे अपना गला क्या
मै मैं तेरी ज़िन्दगी का इक वरक वरक़ हूँ
समझ रक्खा है मुझको हाशिया क्या
बुझा ली प्यास जो अपनी किसी ने
समन्दर इसमे इसमें तेरा घट गया क्या
शिकम की भूख की ख़ातिर जहाँ में
खताएँ ख़ताएँ आदमी ने की हैं क्या-क्या
अगर मकसद सुकूने-दिल है तो फ़िर
हरम क्या है क्या और मयकूदा मयकदा क्या
फ़कीरों की दुआओं मे में असर है
अमीरों की दुआ क्या बद्दुआ क्या