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यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
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02:18, 18 नवम्बर 2010
कटा लें मुफ़्त मे अपना गला क्या
मैं तेरी ज़िन्दगी का इक वरक़
हूँ
समझ रक्खा है मुझको हाशिया क्या
द्विजेन्द्र द्विज
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