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आज हर घर से जनाज़ा-सा उठा हो जैसे
मुस्कुराता हूँ पा-ए-ख़ातिरख़ातिर-ए-अहबाब- मगरदुःख तो चेहरे चेहरे की लकीरों पे सजा हो जैसे
अब अगर डूब गया भी तो मरूँगा न 'कमाल'
बहते पानी पे मेरा नाम लिखा हो जैसे
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