Changes

घर कानी जी चालियो सुण-सुण मधरी गाज।। 31।।
बादली को उठती हुई देखकर और उसका मधुर-मधुर गर्जन सुन कर आज परदेष परदेश गये हुओं का भी मन घर जाने के लिये लालायित हो उठा है।
घूम घटा चट ऊमटी छायी मुरधर आय।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits