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पिता आप / संतोष मायामोहन

54 bytes added, 00:25, 29 नवम्बर 2010
युगों-युगों से मेरे पिता
दूध चूंघते मेरी भाभी के स्तनों !
 
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
</Poem>
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