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शब्द-8 / केशव शरण
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केशव शरण
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जिधर खुला व्योम होता है
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अधरों पर
मूक मुस्कान
नयनों में
मौन निमन्त्रण से
आगे नहीं जाता है
प्यार
जब तक शब्द नहीं पाता है