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साज़ क्यों बज नहीं पाता है, कोई बात भी हो / गुलाब खंडेलवाल


साज़ क्यों बज नहीं पाता है, कोई बात भी हो!
आज क्यों जी भरा आता है, कोई बात भी हो!

हम तेरे प्यार की एक धुन को तरसते ही रहे
कोई यों रूठ न जाता है, कोई बात भी हो!

रात है, चाँद है, तारे हैं, नदी है, हम हैं,
प्यार क्यों आँख चुराता है, कोई बात भी हो!

हमको आते हैं हरेक बात पे आँसू लेकिन
उनको बस हँसना ही आता है, कोई बात भी हो

बाग़ में यों तो चटकते हैं हज़ारों ही गुलाब
एक क्यों खिल नहीं पाता है, कोई बात भी हो!