गनपति आराधि आदि उत्तम सगुन साधि सुभ घरी धरी लगन।
गावत गुनीन गायन मोहत नर नारायन इंद्रादिक सुन सुन होत मगन॥
जर कसे जोर तोरे कंचन घारे देत जाके जोन जटित नगन।
मुहम्मद मुहसिन नंद बख्त बलंद बनाँ नूरुल हसन जीउ जोलै दुहू गगन॥87॥
गनपति आराधि आदि उत्तम सगुन साधि सुभ घरी धरी लगन।
गावत गुनीन गायन मोहत नर नारायन इंद्रादिक सुन सुन होत मगन॥
जर कसे जोर तोरे कंचन घारे देत जाके जोन जटित नगन।
मुहम्मद मुहसिन नंद बख्त बलंद बनाँ नूरुल हसन जीउ जोलै दुहू गगन॥87॥