यह दृष्टियों के आर-पार बह रही है
इसमें मज़े लूट रहे हैं रोयें
इसमें गान के स्वर मचल रहे हैं
इसमें उड़ रहा है फूलों का पराग
इसमें गुदगुदा उठे हैं प्राण
यह दृष्टियों के आर-पार बह रही है
इसमें मज़े लूट रहे हैं रोयें
इसमें गान के स्वर मचल रहे हैं
इसमें उड़ रहा है फूलों का पराग
इसमें गुदगुदा उठे हैं प्राण