अच्छा लगता है चूमना हाथ,
अच्छा लगता है देना चीज़ों को नाम,
अच्छा लगता है खोलना
अंधेरी रात में पूरा किवाड़ ।
अच्छा लगता है सुनना
भारी क़दमो की धीमी आहट,
अच्छा लगता है हवा का सहलाना
सोए-उनींदे जंगल को ।
ओफ़्फ़ यह रात !
दूर कहीं झरने भाग रहे हैं
मुझे नींद आ रही है ।
दूर कहीं एक आदमी
डूब रहा है
रात के अंधकार में ।
रचनाकाल : 27 मई 1916
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह