(राग वागेश्वरी-ताल झूमरा)
अज अविनाशी अखिल भुवनपति मायापति स्वतन्त्र भगवान।
प्रकट हुए निज लीलासे ही चिदानन्द-विग्रह द्युतिमान॥
लीला ललित दिव्य ब्रजमें कर भक्तको कर शुचि रस-दान।
पहुँचे द्वारावती, रचे लीलाके अद्भुत अमित विधान॥
कुञ्रुक्षेत्रकी समर-भूमिमें बने पार्थ-सारथि तज मान।
शरणागतको वरद-हस्त हो करते अक्षय अभय-प्रदान॥