अपनी आँखें मत बन्द करो, रात हो चुकी है
तुम खो सकते हो खुद को
जैसे कालिमा
बिखरी हुई है अन्धकार के ऊपर
यहाँ
हर उस जगह जहाँ तुम हो
रोशनी की टक्कर से गिरे हुए हमारे चेहरे
करीब आ रहे हैं
जुड़ रहे हैं किसी गुलदान के टुकड़ों की तरह
कोई धब्बा नहीं है रोशनी में....
एक प्रेमी की तरह खड़ा हुआ अँधेरा
तुम्हे आग़ोश में लेता है और
शामिल कर लेता है तुम्हे
यहाँ
हर उस जगह जहाँ तुम हो
यहाँ सब एक ही वस्त्र पहने हुए हैं
जिसे रात कहते हैं ।