जिस वेग से आती हैं
उतर जाती हैं उसी वेग से
उन्हें फुर्सत नहीं
इतनी, कि पूछ ले
तुम्हारा हाल
बांट ले अहसास
सुख के, दुख के
कि सुना दे किस्से देश-देशान्तर के।
कब, टिक पायी हैं आंधियां
एक ठौर,
थोड़ी भी देर।
जिस वेग से आती हैं
उतर जाती हैं उसी वेग से
उन्हें फुर्सत नहीं
इतनी, कि पूछ ले
तुम्हारा हाल
बांट ले अहसास
सुख के, दुख के
कि सुना दे किस्से देश-देशान्तर के।
कब, टिक पायी हैं आंधियां
एक ठौर,
थोड़ी भी देर।