आपकी दिल्लगी नहीं जाती
हमसे खैरात ली नहीं जाती
जल्द ही दिन फिरेंगे मेरे भी
दूर तक मुफ़लिसी नहीं जाती
कोई तो रंज खा रहा है उसे
वर्ना इतनी भी पी नहीं जाती
दिल को मुद्दत रुलाना पड़ता है
शायरी यूँ ही की नहीं जाती
उनका ये भी सितम क़ुबूल हमें
हमसे अब बात की नहीं जाती
इस ग़ज़ल में कोई कहानी है
ये ग़ज़ल अब सुनी नहीं जाती
जी रहे हैं 'मनु' ख़ुशी से मगर
बस किसी की कमी नहीं जाती