पानी पीयो मद पीयों भौजी अन गौ के माँस
तब ललकार सोनवा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं
फगुआ खेलावह मोर देवर के इन्ह के फगुआ देह खेलाय
घौरै अबिरवा सिब मंदिर में
केऊ तो मारे हुतका से केऊ रुदल के मैसे गाल
भरल घैलवा है काँदो के देहन पर देल गिराय
धोती भीं जल लरमी के पटुका भींजल बदामी वाल
मोंती चूर के डुपटा है कीचर में गैल लोटाय
बोले राजा बघ रुदल बाबू डेबा सुनी बात हमार
रण्डी के चाकर हम ना लागीं तिरिया में रहों लुभाय
भैं तो चाकर लोहा के सीता राम करे सो होय
बीड़ा मँगावल पनवाँ के भर भर सीसा देल पिलाय
पढि पढि मारे लौंड़ी के टिकुली टूक टूक उड़ जाय
भागल लौंड़ी है सोनवा के लौंड़ी जीव ले गैल पराय
लागल कचहरी इंदरमन के बँगला बड़े- बड़े बबुआन
ओहि समन्तर लौंड़ी पहुँचल इंदरमन अरजी मान हमार
आइल रजा है बघ रुदल के डोला घिरावल बाय
माँग बिअहवा सोनवा के बरियारी से माँगै बियाह
है किछू बूता जाँघन में सोनवा के लावव छोड़ाव
मन मन झड़खे रजा इंदरमन बाबू मन मन करे गुनान
बेर बेर बरजों सोनवा के बहिनी कहल नव मानल मोर